1968 के अंतराल में कठेरिया समाज के नाम से कार्य आरंभ हुआ I लोगों में समाज के प्रति रुझान- जिज्ञासा बढ़ती गई लोग परस्पर संपर्क स्थापित करते हुए योगदान देने लगे और कारवां आगे आगे बढ़ता गया | उस वक्त दिल्ली में श्री मदन लाल विद्यार्थी, श्री राम स्वरूप आजाद, श्री सूबेलाल कठेरिया श्री पूसेलाल कठेरिया एवं युवा श्री विजय प्रभात समाज उत्थान पर चिंतन शिवरों एवं व्यक्तिगत जन संपर्क के माध्यम से कार्य कर रहे थे| दिल्ली में उस समय समाज में चौधरी प्रथा को समाप्त कराने में अखिल भारतीय कठेरिया समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा दहेज प्रथा, शिक्षा पर जोर दिया जा रहा था संस्था के माध्यम से जहां-जहां कठेरिया समाज के लोग व अधिकारी सेवा में थे उनसे संपर्क कर मार्ग दर्शन लिया गया था कठेरिया समाज की खोज पर दिल्ली कठेरिया समाज के लोगों से संपर्क स्थापित हुआ|
इसी क्रम में श्री गंगानगर, राजस्थान में अखिल भारतीय धानक समाज द्वारा महासम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधित्व का कार्य विजय प्रभात जी को सौंपा गया श्री गंगा नगर राजस्थान के महा सम्मेलन की अध्यक्षता श्री भागीरथ जी जो श्री रमेशचंद्र(आईएएस) के पिता थे सम्मेलन की अध्यक्षता की मेजवानी उनके सानिध्य में हुई जिसमें उत्तर प्रदेश को बड़ा गौरवान्वित सम्मान मिला इस संयोजन में युवा के रूप में श्री विजय कुमार प्रभात को कार्य करने का भरपूर अवसर मिला | इस सम्मेलन मैं श्री पुसेलालजी, श्री डूंगर सिंह जी एवं श्री सूबेलाल जी ने अपने विचार प्रस्तुत किये.
यह भी बताना आवश्यक होगा कि दिल्ली में धानक, धानुक, धानका एक संस्थाथी संपर्क किया कि वह उस ग्रुप के 5 सदस्य श्री बाबू राम सोलंकी, श्री अभय सिंह धानक, श्री राम नारायण सोलंकी, श्री प्रभु दयाल आया और ग्रुप के महामंत्री श्री चंद्रगिरी रामजी, श्री विजय प्रभात जी से चर्चा की विस्तार से चर्चा में यह स्पष्ट हो गया कि कठेरिया ही धानुक है श्री गोपाल दास कठेरिया का योगदान युवा शक्ति में समाज में चेतना जागृत करने का अति सराहनीय था भरपूर सहयोग वविचारों से समय परिस्थितियों आगे बड़ी तब तक हम लोग भारत की कई प्रांतों में संबंधों को स्थापित कर चुके थे संगठन के द्वारा दिल्ली में रह रहे अपने कठेरिया समाज के लोगों से बैठक करने की अपील की स्वीकृति मिली
श्री मदनलाल विद्यार्थी 999 सेक्टर 12 आर के पुरम नई दिल्ली के निवास पर आयोजित हुई बैठक में श्री बुला की दास मास्टर जी श्री रामस्वरूप आजाद श्री पूछेलाल कजरिया श्री रामभरोसे लाल श्री सुबेलाल कठेरिया डॉ. एम पी सिंह श्री राम स्वरूप एवं श्री विजयप्रभात और अन्य लोग श्री मदनलाल विद्यार्थी के यहां बैठक में इस प्रकार 25 लोग उपस्थित थे बैठक में तय किया कि संस्था बनाई जाए इस विषय पर 5 बैठक की गई थी कुछ लोगों का कहना था कि ''धानुक" नाम का प्रयोग अभी ना किया जाए सभी लोगों की सहमति से अखिल भारतीय कठेरिया समाज के नाम से संस्था पंजीकृत कराई जाए सामूहिक रूप से निर्णय हुआ कि 10 15 प्रांतों की प्रतिनिधियों को सम्मिलित कर राष्ट्रीय स्तर रखा जाए इस भांति 21 सदस्यों की प्रबंध कार्य कारिणी का गठन पंजीकरण कराने के लिए उत्तरदायित्व के रूप में संस्था का संविधान तैयार करने साथ ही अन्य पत्रों को तैयार करने प्रांतों में संपर्क स्थापित करने को बतौर महामंत्री पद पर श्री विजय कुमार प्रभात को अधिकृत किया गया संस्था पंजीकृत होने में लगभग 5 माह लगे इस प्रकार 4 फरवरी 1985 को राष्ट्रीय स्तर से दिल्ली संस्था पंजीकृत अधिनियम का उपधारा 21 पंजाब संशोधन अधिनियम 21 वे 1807 के अंतर्गत पंजीकृत की गई
संस्था प्रबंध कार्यकारिणी सदस्यों को शपथ ग्रहण कराने के लिए गांधी समाधि पर आयोजन रखा गया और श्री रंगीलाल कठेरिया इटवा स्वतंत्रता सेनानी द्वारा शपथ दिलाई गई जिसमें विशेष रुप से श्री प्रेमचंद्र आर्या फर्रुखा बाद उपस्थित थे यह कार्य संस्थापक श्री रामस्वरूप आजाद जी के सानिध्य में हुआ जिसका संयोजन ने तृत्व विजय प्रभात की कार्य प्रणाली में रहा पहली होली मंगल पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की समाधि पर आयोजित हुई पहला झंडा समारोह कुद सिया गार्डन कश्मीरी गेट दिल्ली पर आयोजित हुआ विगत 3
वर्षों में कठेरिया समाज में प्रबल जागरूकता बढ़ रही थी मेरठ मोदीनगर रोहतक इटावा मैनपुरी एटा आगरा अलीगढ़ फर्रुखाबाद आदिस्थानों पर कार्यक्रम संचालित हो रहे थे धनका अभाव था परंतु लोग स्वयं की इच्छा से आर्थिक सहयोग देने में पीछे नहीं थे
मैं ध्यान दिलादूं श्रीचंद्रभान सिंह बाबू तुलसीराम वर्मा श्री राम शरण लाल श्री नाथूराम कठेरिया श्री महेंद्र कुमार आर्या श्री महेश चंद्र कठेरिया श्री रमेश चंद्र आई ए एस एवं श्री जे पी वर्मा लगातार कार्य शील रहकर समाज को उन्नति पत्र बनाने में योगदान दे रहे थे श्री आर एल भारती ने पंजी कृत प्रक्रिया में प्रखरता और आर्थिक सहयोग करते हुए अपना विशेष उत्तरदायित्व निर्वाहन किया
श्री ऊदल सिंह कठेरिया के सक्रिय योगदान को संस्था पंजीकृत होने पर से मार्ग दर्शनव सहयोग रहा क्योंकि इनकी टीम इलाहाबाद विश्वविद्यालय की थी जो मीटिंग में सदैव उपस्थित होती थी 4 लोग जिनमें डॉ विक्रम सिंह श्री ऊदल सिंह श्री अनिल सुधाकर और श्री के पी सिंह अधिकतर साथ रहे हैं स्पष्ट करने का अनिवार्यता है कि श्री उदल सिंह कठेरिया राष्ट्रीय महासचिव आरंभ से ही कठेरिया कल्याण कार्यक्रमों में जुड़े हुए रहे और राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर बखूबी अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहे उस समय की समस्त कार्यकारिणी पंजीकृत प्रक्रिया से संस्थापक सदस्य थे और हैं श्री विजय प्रभात बतौर राष्ट्रीय महामंत्री वर्षों से चले आ रहे थे तब श्री प्रभात ने निर्णय लिया कि कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से महामंत्री पद से श्री प्रभात जी ने त्याग पत्र देकर उसी दिन श्री ऊदल सिंह जी को राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया था श्री ऊदल सिंह जी ने राष्ट्रीय महामंत्री पद के अंतर्गत भरपूर कार्य आगे बढ़ाएं संस्था ने कभी भी किसी तरह का विरोधाभास नहीं रहा है आरंभ से लेकर श्री प्रभात जी के त्याग पत्र देने तक जो भी संस्था के प्रपत्र म सौदा था संस्थापक एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री ऊदल सिंह कठेरिया को सौंप दिए गए थे
1990 में श्री प्रभु दयाल कठेरिया सांसद ko अखिल भारतीय कठेरिया समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया , विरोध भी हुए तब श्री विजय प्रभात जो उस वक्त कठेरिया समाज के अधिकारियों और जन सामान्य लोगों के बीच विश्वसनीयता हासिल की, सभी अधिकारी यह चाहते थे जिस संस्था का अध्यक्ष राजनेता अर्थात सांसद होगा तो संस्था प्रगति करेगी तथा लाभान्वित होगी |